उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक संगठित गिरोह ने बीमा कंपनियों से करोड़ों रुपये की रकम हड़पने के लिए फर्जीवाड़े, दस्तावेजों की जालसाज़ी, गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों का उपयोग और यहां तक कि हत्या तक की वारदातें कीं। पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ED) दोनों इस मामले की गहनता से जांच कर रहे हैं।(ThePrint Hindi)
🧾 अब तक की बड़ी जानकारी
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जनवरी 2025 से गिरोह पर पुलिस की नजर थी। अबतक 52 से – 60 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं, लगभग 50 से अधिक आरोपी फरार बताए जा रहे हैं एवं कुछ ने अदालत में आत्मसमर्पण किया है।(ThePrint Hindi)
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इस मामले से जुड़े कम से कम 17 FIR दर्ज हैं, जिनमें से 4 हत्या से संबंधित हैं।(ThePrint Hindi)
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अनुमानित घोटाले की राशि ₹100 करोड़ से अधिक है और आगे बढ़ने पर यह और भी बढ़ सकती है।(Hindustan Times)
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ED ने पुलिस से सभी दस्तावेज़, FIR कॉपियाँ एवं जांच सामग्री मांगी है और वह अब मनी लॉन्ड्रिंग की भी जांच कर रही है। इसमें शामिल संस्थाएं, बैंक, बैंक कर्मी, आशा वर्कर, ग्राम सचिव व अन्य सरकारी अधिकारी भी संदिग्ध हैं।(ThePrint Hindi)
🕵️♂️ गिरोह की कार्यप्रणाली
1. निशाना युवा या बीमार व्यक्ति
गिरोह आरोपियों का लक्ष्य अक्सर नौजवान, अनाथ, मरणासन्न कैंसर या अन्य गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति होते थे।(Dainik Bhaskar)
कुछ मामलों में परिवार वालों को आकर्षित कर पॉलिसी करवाई जाती थी और पॉलिसी के नॉमिनी खाते, डेबिट कार्ड, मोबाइल नंबर, OTP-सिम कार्ड, आदि नियंत्रण में रखे जाते थे।(Dainik Bhaskar)
2. दस्तावेजों में हेराफेरी
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फर्जी या बैकटडेट मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाए जाते थे। रजपुरा और मुरादाबाद में मामले सामने आए जिनमें 29 ग़लत मृत्यु प्रमाणपत्र ज़ाली पाए गए, जबकि कुछ में तिथियों में हेराफेरी की गई थी।(Dainik Bhaskar)
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Aadhaar में उम्र में बदलाव किया गया ताकि सरकारी योजना—जैसे PMJAY—का लाभ लिया जा सके।(The Indian Express)
3. योजनाबद्ध हत्याएं
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गिरोह ने सलीम (22 वर्ष, जुलाई 2022) एवं अमन (20 वर्ष, नवंबर 2023) नामक दो व्यक्तियों की हत्या की, जिसमें हत्या को सड़क हादसा दिखाकर ₹78 लाख तथा ₹20 लाख से अधिक की बीमा राशि हड़प ली गई। तीसरी हत्या की भी योजना तैयार की गई थी लेकिन पुलिस ने उसे समय रहते रोका।(Amar Ujala)
4. नेटवर्क और साजिश
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गिरोह का नेटवर्क कम से कम 12 राज्यों तक फैला हुआ था—Uttar Pradesh, Uttarakhand, MP, Bihar, Jharkhand, Delhi आदि।
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इसमें शामिल थे बैंक कर्मचारी, बीमा एजेंट, इंवेस्टिगेशन कंपनी के मालिक, आशा वर्कर, ग्राम सचिव/प्रधान, जिन्होंने मिलकर पॉलिसी करवाई और दावा प्रक्रिया को आगे बढ़ाया।(आज तक, ETV Bharat)
📋 प्रमुख घटनाओं का सारांश तालिका
घटना/तारिख | विवरण |
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29 जुलाई 2022 (सलीम) | हथौड़े से सिर पर हमला + गाड़ी कुचलू → ₹78 लाख क्लेम।(Amar Ujala) |
15 नवम्बर 2023 (अमन) | सिर फोड़कर हत्या, लाश सड़क पर छोड़ी → क्रमशः ₹2.7 करोड़ पॉलिसी, ₹20 लाख क्रेडिट। |
17 जनवरी 2024 | स्कॉर्पियो सवारों की गिरफ्तारी; मोबाइल फ़ोरेंसिक से 1 लाख+ दस्तावेज मिले; गिरोह का संचालन सात वर्षों से। |
फरवरी 2025 | आशा वर्कर सहित 6 आरोपी गिरफ्तार; बैंक, पैन, पासबुक, मृत्यु प्रमाण पत्र, इत्यादि बरामद। |
5 जून 2025 | ED ने ₹100 करोड़ से अधिक के घोटाले संबंधी दस्तावेज मांगे; 52 गिरफ्तार, 50 फरार। |
मई 2025 | ED ने ₹500 करोड़ तक मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की। |
⚖️ पुलिस और ED की कार्रवाई
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पुलिस ने 58 बीमा कंपनियों के साथ एक ‘इंश्योरेंस कॉन्क्लेव’ आयोजित किया, जिसमें SOP (Standard Operating Procedure) तैयार करने की योजना बनी ताकि भविष्य में ऐसा फ्रॉड रोका जा सके।(आज तक)
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ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के आधार पर FIR दर्ज कर सूक्ष्म वित्तीय शोषण, कंपनी-बीमा एजेंट-ग्राम सचिवों की संलिप्तता, Aadhaar फर्जीवेड़ा इत्यादि की जांच शुरू कर दी है।
📌 निष्कर्ष
यह सिर्फ एक लोकल फ्रॉड नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय स्तर की फर्जी पॉलिसी-आधारित साइबर-फाइनेंशियल अपराध साजिश थी, जिसमें हत्याएं, फर्जी दस्तावेज, बैंकिंग और सरकारी संस्थानों में मिलीभगत शामिल थी। गिरोह की पकड़ और ED की कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि अब इस प्रकार के घोटालों से निपटने के लिए कड़ी निगरानी एवं SOP आवश्यक है।
⚠️ जागरूकता संदेश
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परिवार के किसी सदस्य या परिचित का नाम लेकर जबानी थोपी हुई पॉलिसी, नकली दस्तावेज या संदिग्ध बैंक खाता हो तो तुरंत स्थानीय पुलिस व बीमा कंपनियों को सूचित करें।
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आशा वर्कर, ग्राम सचिव, एजेंट आदि से सावधान रहें, विशेषकर जब वे किसी सरकारी योजना के नाम पर बीमा करवा रहे हों।
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पुलिस और ED की जांच से यह स्पष्ट हुआ कि लोकतांत्रिक संस्थाएँ जब सजग होती हैं तभी इस तरह की फ़्रॉड से बचाव संभव है।