क्या होता है "नॉन-वेज दूध"? | भारत-अमेरिका व्यापार विवाद
टॉपिक: नॉन-वेज दूध | भाषा: हिंदी | उद्देश्य: छात्रों और उपभोक्ताओं को जागरूक करना
नमस्ते साथियों! आपने दूध को तो हमेशा 'शाकाहारी' माना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ मामलों में यही दूध "नॉन-वेज" भी हो सकता है? भारत सरकार द्वारा अमेरिका से आने वाले कुछ डेयरी उत्पादों को ऐसे ही वर्गीकृत किया जा रहा है। आइए समझते हैं इस रोचक और जटिल मुद्दे को विस्तार से।
"नॉन-वेज दूध" क्या होता है?
वैज्ञानिक परिभाषा: यदि गाय या भैंस को मांस, मछली, हड्डी या रक्त से बना चारा दिया जाता है, तो उनसे प्राप्त दूध को "नॉन-वेज डेयरी" माना जाता है।
FSSAI नियम: भारत में ऐसा कोई भी डेयरी उत्पाद केवल तभी बिक सकता है जब वह शुद्ध शाकाहारी चारे पर पले पशु से प्राप्त हो। अन्यथा उस पर भूरे रंग का "नॉन-वेज" निशान लगाना अनिवार्य है।
ध्यान दें: पैकेटबंद दूध या पनीर खरीदते समय हरा (शाकाहारी) या भूरा (नॉन-वेज) निशान अवश्य देखें।
भारत और अमेरिका के बीच विवाद क्यों?
- अमेरिका की प्रथा: वहाँ 90% डेयरी फार्म मांस/मछली आधारित चारा देते हैं।
- भारत की आपत्ति: धार्मिक आस्थाएँ (हिंदू, जैन) इस दूध को अस्वीकार्य मानती हैं।
- किसानों का हित: भारत की ₹11 लाख करोड़ की इंडस्ट्री और 8 करोड़ किसान इससे प्रभावित हो सकते हैं।
- पारदर्शिता: उपभोक्ता को पता होना चाहिए कि वह क्या खा रहा है – यही FSSAI का उद्देश्य है।
अमेरिका की आपत्ति: वह इस नियम को "Non-Tariff Barrier" मानता है और वैज्ञानिक आधार की कमी का हवाला देता है।
आगे की राह क्या है?
भारत ने स्पष्ट कहा है कि सांस्कृतिक मूल्यों और किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं होगा। अमूल और मदर डेयरी जैसे प्रमुख ब्रांड सरकार के साथ हैं। दूसरी ओर, अमेरिका भारत के विशाल डेयरी बाज़ार तक पहुंच चाहता है।
सांस्कृतिक संवेदनशीलता सर्वोपरि, कोई छूट नहीं।
FSSAI नियम हटाएं या अमेरिकी उत्पादों को छूट दें।
क्या आप जागरूक उपभोक्ता हैं? अगली बार दूध/पनीर खरीदें तो FSSAI का लेबल जरूर चेक करें। और जानें
निष्कर्ष
नॉन-वेज दूध का विवाद केवल डेयरी तक सीमित नहीं है। यह भारत की सांस्कृतिक पहचान, उपभोक्ता अधिकारों और वैश्विक व्यापार के संतुलन का विषय है। जब तक अमेरिका अलग शाकाहारी सप्लाई चेन नहीं बनाता या भारत समाधान नहीं निकालता, यह व्यापार समझौता अधर में रहेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. क्या दूध वाकई नॉन-वेज हो सकता है?
A: अगर दूध मांस आधारित चारा खाए पशु से निकला हो, तो हाँ।
Q2. क्या भारत में नॉन-वेज दूध बिक सकता है?
A: हाँ, लेकिन FSSAI के नियमों के अनुसार उसे विशेष चिह्न और लेबलिंग के साथ बेचना होगा।